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“कन्हैया”…..!(कहानी)
मीरा अपनी झोंपड़ी में बैठी गहरी सोच में डूबी हुई थी | आज उसे अपने स्वर्गवासी पति की बड़ी याद आ रही थी | कन्हैया जब एक साल का था जब उनका इंतकाल हो गया था | वह सोच रही थी कि यदि आज वह जिंदा होते तो कन्हैया इतना जिद्दी और आवारा न…
Ernest Hemingway was an American novelist, short-story writer, journalist, and sportsman.
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मीरा अपनी झोंपड़ी में बैठी गहरी सोच में डूबी हुई थी | आज उसे अपने स्वर्गवासी पति की बड़ी याद आ रही थी | कन्हैया जब एक साल का था जब उनका इंतकाल हो गया था | वह सोच रही थी कि यदि आज वह जिंदा होते तो कन्हैया इतना जिद्दी और आवारा न…
*************** पूस महीने की कड़के की ठण्ड पड़ रही थी | गेहूँ जमकर काफी बड़े हो गए थे, उनमें अब कोर लगने का समय आ गया था | नहर में पानी आ रहा था, इसलिए लोग अपने गेहूँ में पानी लगा रहे | आज रात हरिया का भी पानी लगने का नंबर था | रात…
************* अलार्म घड़ी की आवाज आई तो रूबिया ने अल साई आँखों से उसका स्विच ऑफ कर दिया | उसने देखा तो खिड़की से होकर सूर्य का मंद-मंद प्रकाश भी कमरे में आ रहा था | वह चड्ढा साहब के पास से उठती है और दरवाजा खोलते हुए सुखिया को आवाज लगाती है | -“सुखिया”…
लगभग पाँच साल बीत जाते है | समय की मरहम और पारो,हरिया के प्यार ने दीनू के जख्मो को भर दिया था | बालक भारत भी अब काफी बड़ा हो गया था | हरिया और दीनू आंगन में बैठे हुक्का पी रहे थे | पारो आती है, भारत भी नन्हे क़दमों से उसके पीछे दौड़ता…
दो दिन हो गए थे लेकिन दीनू ने अन्न का एक भी दाना मुँह में नही डाला था, वह अन्दर कोठे में पड़ा फुलवा की बाते सोच रहा था | रह-रहकर उसे फुलवा की यादें आ रही थी और दीनू के जख्मो में सुई की भांति चुभ जाती थी | अचानक ही किवाड़ों में आवाज…
रात के लगभग बारह बज चुके थे | बैलगाड़ी गाँव की तरफ चल रही थी ,हरिया , दीनू ओर पारो चुपचाप बैठे थे । उनके मन में अन्तःदुवंध चल रहा था । आकाश में कुछ –कुछ बादल छाने लगे थे जिसके कारण एक–एक दो–दो बून्दे भी आने लगी थी । हरिया शहर से बहार लगी…
दीनू का घुटना दीवार से टकरा जाता है और उससे खून बहने लगता है | दीनू जमीन पर हाथ रखकर खड़ा होता है | उसका घुटना काफी दर्द कर रहा था कि अचानक कुछ सोच कर उसके दिल कि धड़कन तेज हो जाती है | वह साँस रोककर कुछ सुनने का प्रयास करता है लेकिन…
अन्दर हाल की चकाचौंध और जलते-बुझते बल्बों को देखकर दीनू की आँखें चुंधिया जाती है | वह वाही खड़ा हो जाता है और हाल के वातावरण पर नजर दौड़ता है | पार्टी में आनंद का माहौल था, शराब, कबाब और शबाब तीनों का अच्छा मिश्रण बना हुआ था जो लोगों को आनंदित कर रहा था…
दीनू बैलगाड़ी को खड़ी करके डॉक्टर साहब के मकान की तरफ़ दौड़ता है | वह दरवाजे को जोर-जोर से खटखटाता है | कुछ देर बाद दरवाजा खुलता है तो एक दस बारह साल की लड़की आती है | दीनू -“बेटी डॉक्टर साहब है क्या?” लड़की -“नहीं पापा तो पार्टी में जा चुके है |” दीनू…
दीनू के आते ही हरिया ने पूछा -“क्यों दीनू क्या हुआ, डॉक्टर साहब मिले नहीं क्या ?” दीनू -“क्या बताऊ हरिया, मेले थे लेकिन देखने से मना कर दिया, कह दिया और ले जाओ समय नहीं है |” इतना कह कर दीनू ने बैलों की रस्सी या पकड़ी और वे शहर के अन्दर…